अनुच्छेद 370 हटने के बाद कवरेज के लिए जम्मू-कश्मीर के तीन फोटोग्राफरों को फीचर फोटोग्राफी अवॉर्ड

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न्यूयॉर्क. अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में महीनों तक कर्फ्यू और लॉकडाउन की स्थिति रही। ऐसे हालात में कश्मीर के तीन फोटोग्राफर ने कैमरे के जरिए लोगों को प्रदेश का माहौल दिखाया। ये तीनों फोटोग्राफर यासीन डार, मुख्तार खान और चन्नी आनंद न्यूज एजेंसी एपी के लिए काम करते हैं। अब इन्हें कश्मीर कवरेज के लिए पत्रकारिता का प्रतिष्ठित पुलित्जर फीचर फोटोग्राफी कैटेगरी में अवॉर्ड दिया गया।

ये फोटो मुख्तार खान ने 12 अगस्त 2019 को खींची थी। ये कश्मीर की 6 साल की बच्ची मुनीफा नजीर है। बताया गया था
कि मुनीफा सुरक्षाबलों द्वारा कंचे मारने के दौरान घायल हुई।

घाटी में विपरीत परिस्थितियों के बाद भी इन्होंने अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी अंजाम दिया। कई बार तो प्रदर्शनकारियों से बचने के लिए सब्जी की टोकरियों में कैमरे छिपाए। तीनों फोटोग्राफर ने प्रदर्शन, पुलिस-अर्धसैनिक बलों की कार्रवाई और लोगों की जिंदगी की तस्वीरें एजेंसी के दिल्ली ऑफिस तक पहुंचाईं।

‘काम से किसी के सामने चुप न रहने की प्रेरणा मिली’
श्रीनगर में रहने वाले यासीन डार ने ईमेल के जरिए बताया कि यह काम बिल्कुल चूहे और बिल्ली की लुकाछिपी की तरह था। इंटरनेट बंद रहने से फोटो दिल्ली तक पहुंचाने में काफी मुश्किल होती थी। हम मेमोरी कार्ड से फोटो दिल्ली भेजने के लिए एयरपोर्ट पर दिल्ली जाने वाले किसी यात्री को मनाते थे। हमारे काम से यह प्रेरणा मिली है कि कभी किसी के सामने चुप्पी नहीं साधनी है।

ये फोटो यासीन डार की है। श्रीनगर में पुलिस की गाड़ी पर उछलकर पत्थर मारता एक कश्मीरी प्रदर्शनकारी।

वहीं, जम्मू में रहने वाले चन्नी आनंद बताते हैं कि 20 साल एपी के साथ काम करने के बाद यह पुरस्कार मिला। इसकी खुशी जाहिर करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।

ये फोटो चन्नी आनंद की है। जम्मू से 22 किमी पश्चिम में भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित एक खेत में निगरानी करता
बीएसएफ का जवान।

न्यूज एजेंसी के सीईओ गेरी प्रयूट ने कहा कि यह सम्मान हमारे लिए संस्थान की महान कार्यशैली का हिस्सा है। कश्मीर में काम करने वाली हमारी पूरी टीम इसके लिए बधाई की पात्र है। इस अवॉर्ड के लिए न्यूज एजेंसी के फोटोग्राफर दिऊ नलियो चेरी और रेबेका ब्लैकवेल भी फाइनलिस्ट में थे। उन्होंने हैती में हिंसा के दौरान कवरेज किया था। तब चेरी को गोली भी लगी थी, लेकिन वह अपना काम करते रहे। इन पांचों फोटोग्राफर ने संस्थान के लिए बेहतर काम किया।

5 अगस्त के बाद कश्मीर में महीनों तक इंटरनेट बंद रहा
5 अगस्त को मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था। इसके बाद सरकार ने प्रदेश को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था। इससे पहले ही कश्मीर के प्रमुख नेताओं को नजरबंद कर दिया गया। यहां महीनों तक कर्फ्यू लगा रहा और टेलीफोन के साथ-साथ इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगी रही थी। ऐसे में कश्मीर के पत्रकारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर बताया था कि इंटरनेट बंद रहने से उनका काम प्रभावित हो रहा है।

Editor Gaon Ki Khabar

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